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________________ भगवान् पार्श्वनाथ ( १ ) मन्त्री विश्वभूतिको एक दिन शिरके भ्रमरसदृश काले केशसमूहमें एक सफेद बाल निकलता हुवा दिखलाई दिया । फिर क्या था, विचारधारा तरंगित हो उठी; सोचने लगा, धीमे धीमे इसी प्रकार सभी बाल सफेद हो जायेंगे और एक दिन यौवन - सरिता भी सूख जायगी । उगते हुवे एक सफेद बालको देखकर मन्त्रीने संसारको अस्थिरता, असारताका अनुमान किया, और पोतनपुरके इस मन्त्रीने एक स्त्री, दो पुत्र एवं महान् ऐश्वर्यका त्याग करके मुक्तिका रास्ता लिया । मन्त्रीके दो पुत्र थे। बड़े पुत्रका नाम कमठ और छोटेका मरुभूति था । कमठ बड़ा होने पर भी महामूर्ख था, अतएव मन्त्रीत्वका भार कमठको न देकर मरुभूतिको दिया गया। मरुभूतिके विनय, शिष्टाचार और चारित्रको देखकर महाराज अरविन्द उसे बहुत मानने लगे । वह महाराजाका विश्वासपात्र हो गया और उनकी अनुपस्थितिमें राजतन्त्रको वागडोर उसीके हाथमें रहने लगी । एक दिन अचानक वज्रवीर्य नामक एक प्रतिस्पर्धी महाराजाने
SR No.010383
Book TitleJinavani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarisatya Bhattacharya, Sushil, Gopinath Gupt
PublisherCharitra Smarak Granthmala
Publication Year1952
Total Pages301
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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