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________________ २७० " . . " ३ सखी री विमलाचल जाणुजइयइ३४२ २७१ नेमि राजुल० ३ नेमि काहेकु दुख दीनउ हो ३४३ २७२ " " ३ पियाजी आइ मिलउ एक वेर ३४३ २७३ " " ३ पावस विरहिणी न सुहाइ ३४३ २७४ राजुल विरह ३ सखी री चदन दूर निवार ३४४ २७५ " " ३ मोपे कठिन वियोग की ३४४ २७६ . " ३ सखी री घोर घटा घहराइ ३४५ २७७ " ३ अब मइ नाथ कबइ जउ पाउं ३४५ २७८ ३ काहु सु प्रीति न कीजइ ३४५ । २७६ महावीर गौतम ३ हो वीर, काहे छेह दिखायउ ३४६ २८० जिन दर्शन ३ सखी री, आज सफल जमवारउ ३४६ २८१ जिन पूजा ३ जिनवर पूजउ मेरी माई ३४७ २८२ प्रभु भक्ति ३ प्रभुपद पंकज पाय के ३४७ २८३ " ३ भविक मन कमल विवोध दिणंदा ३४७ २८४ प्रभु शरण ३ प्राण पियाके चरण शरण गहि ३४८ २८५ प्रभु बीनति ३ जिनवर अव मोहि तारउ ३४८ २८६ जिन वीनति ३ जिणदराय हमकु तारउ तारउ ३४६ २८७ " ३ कृपानिधि अब मुझ महिर करीने ३४६ २८८ " ३ जगत प्रभु जगतनकउ उपगारी ३४६ २८६ प्रभु वीनति ४ अवतउ अपणइ वास बसउ ३५० २६० जिनेन्द्र प्रीति प्रेरणा ३ मन रे प्रीति जिणंद सू कीजे । २६१ निरंजन खोज ४ खोजे कहा निरंजण बौरे ३५१ २६२ प्रबोध ३ ऊठि कहा सोइ राउ ३५१ ३५०
SR No.010382
Book TitleJinaharsh Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1962
Total Pages607
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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