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________________ ४४२ जिनहर्म ग्रंथावली कलियुग आख्यान ढाल चपनी जुग काउ । * 1 सतजुग मा बलराजा थयउ, रामचन्द्र त्रेता द्वापर मांहि करण दातार, पांडव पांच थया जोधार - १ धरमपुत्र युधिष्ठिर राय, बीजउ भीम भ्रात कहवाय । अर्जुन त्रीजउ बाणावली, चउथउ सहदेव नकुलउ बली । —–२ ए पांचे हथिणापुर राज, करइ धरम करम ना काज । न्याई नीतिशास्त्र ना जांण, जेहनी मह को मानइ ऑण । - ३ एक दिन धर्मपुत्र महाराज, रयवाड़ी रमिवानड़ काज । अलगउ एक वन माहै गयउ, ख्याल निहाली अचरिज थयउ ४ नीची थईन धावड् गाय, निज वछीन दीठी राय । जोवउ रे अचरिज ए किसउ, राजा मनमां चिंत इसउ । - ५ आगलि राय कीधी मींट, तीन सरोवर त्रेण दीठ | तीने सरवर जल कल्लोल, भरीया करता छाको छोल ।–६ प्रथम सरोवर थी ऊपड़ड़, जलधारा त्रीजा मा पड़ड़ | विचिला मांहे न पड़ड़ टीप, ए अचरिज दीठउ अवनीप ।-७ राजा मन विस्मय पांमीयउ, हीयड़ड़ धरि आगलि चालीयउ । पांणी भीनी बेलू साहि, रज्ज वणइ भाजड़ खिण मांहि । - देखी कौतुक चाल्यउ राय, आगलि जातां अचरिज थाय । टंत पांणी आवाह, खांची लयड़ जल कूप अवाह । —६ 1
SR No.010382
Book TitleJinaharsh Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1962
Total Pages607
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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