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________________ रागों के गाने का समय ४०७ राग करण समय कवित्त सवैया रसिक हीडोल राग ताकी पिया' देवसिरी, भूपाल वसत. धुर' पहर वणाइ जू। मालवकौसक । जाम जैतसिरी । मालमिरी धन्यासिरी द्वितीय ऊगत सूर गाइ जू । दीपक मारुणी तोडी गूजरी कामोद' फुनि, वैरारी त्रितीयः जाम. सुगुण सुणाइ ज । दिवस के अंत जसराज श्रीयरोग" काफी, सामेरी गौरी सुजांन चातुरी जनाइ जू ॥१॥ मालवीः पूरवी गौरौ कल्यान करन दौरौ, विहागरौ माधवी : प्रथम जाम निसि के। अधरत कानरौ केदारौं प्यारौ लाग' मोहि, सहव समझि नट-नारायण , रसिके । सोरठ मल्हार सार' रामगिरि आ तदुपरि पंचम अलापं मुख हसिके । भैरवः ललित गति जसराज वेलाउल, कीजिये विभास दिन ऊगत उलसिके ।।२।। इति रागकरण समय सूचनिका कवितद्वयम् ( सवैया ) १ प्रिया देवगिरी २ भूपाली ३. कमोद ४ वैराड़ी ५ श्रीराग ६ कीजियै विभास वेलाउल, जसराज उगहि उलसि के। . . .
SR No.010382
Book TitleJinaharsh Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1962
Total Pages607
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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