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________________ मौन एकादशी स्तवन ए वीसे थानके, गणीयइ करि उपवास | आंबिल एकासण, यथा सगति मति खास । तिथंकर पदवी, ए तप थी पामीजइ । दोड़ दोड़ सहस गुणणड़, जिनहरख गणीजइ ॥ ११ ॥ । · मौन एकादशी स्तवन ढाल || वीर जिरोमर नी ॥ एदेशी सयल जिणेसर पाय नमी, समरी सुयदेवी । मून इग्यारसि तवन भणुं, गुरु चरण नमेवी || मगसिर सुदि एकादशी, ए कल्याणक धारी । तीन पंचास थया कहुं ए, सुणीज्यो नरनारी ॥ १ ॥ नगर नागपुर दीपतउ ए, तिहां राय सुदरसण ।. देवी राणी गुणवती ए, सहु नः प्रिय दरसण || चउदे सुहिणे जनमीया ए, अमर नाम कहाय । रूप अनोपम सोहतर ए, जाणे कंचण काय || २ || चउसठि इंद्र मिली करी ए, सहुअइ सुर आव्या । मेरु महीधर ऊपरs ए प्रभु नइ न्हवराव्या || करीय महोच्छव माय तणs, पासइ तेह मल्ह्या । ? इंद्र गया निज थानकड़ ए, दुरगति दुख ठेल्या ॥ ३ ॥ r राज्य तणा सुख भोगवी ए, व्रत अवसर जाणी । ३६३
SR No.010382
Book TitleJinaharsh Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1962
Total Pages607
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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