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________________ ऋषि बत्तीसी अभयकुमार नमुं नंदिपेण, अयमत्तो रिपिवर पुन्यसेण ॥१४॥ करकंडु नमि निगई साध, दुमुह दयानिधि गुणे अगाध । ' च्यारे प्रत्येकवुद्ध कहाय, ग्रह ऊठी प्रणमीजे पाय ॥१५॥ जंम्बू कूरगड अणगार, कुम्मापुत्तः सुगुण भंडार । अरहन्नक' रिपि व्रत प्रतिपाल,गयसुकुमाल अवंतिसुकमाल॥१६॥ नमुं इलाचीपुत्र पवित्र, खिमावंत चिलातीपुत्र । बाहुवल भरहेस मुर्णिद, सनतकुमार नमूं आणंद ॥१७॥ रिषि ढंढणकुमार पवित्र, मुनिवर वंदु.अज सुनखित्त'। श्री सर्वानुभूय सुजगीस, पनर तिडोतर गोयम सीस ॥१८॥ पुंडरीक गणहर गुणवंत, दिढपहार नमियै दवदंत । संब पजुन्न अने बलदेव, सागरचंद मुणिंद नमैव ॥१६॥ मेतारिज श्री कालिकसरि, तेतलीपुत्र नमुं गुण भूरि । पांचे पांडव अनयाउत्त, धरमरुइ रिख तोसलिपुत्त ॥२०॥ मुनिवर सत्तम कत्ति मुणिंद, पंच कोड़ि सुंदविड़ नरिंद । विद्याधर नमि विनम मुणीस, खंदक सूरि पंचसय सीस!॥२॥ किपिल महारिषि संजम धीर, हरिकेसीवल पवित्र शरीर। . चित्त मुनीसर नृप इखुकार, भृगुबंभण जसु दुण्णि कुमार ॥२२॥ कमलावई जसा बांभणी, ए छह प्रण, महिमा घणी । संजती मिरगापुत्र महंतः साध अनाथी रिषि गुणवंत ॥२३॥ १-अरणक २ पवित्त ३ सत्तमुकल ४ वसु ।
SR No.010382
Book TitleJinaharsh Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1962
Total Pages607
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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