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________________ अभी तक और भी खोज करने पर ऐसी रचनाएं प्राप्त होना सम्भव है । कुछ रचनाओं में एक ही प्रति मिलने के कारण पाठ श्रुटित व अशुद्ध रह गये हैं, जिनकी अन्य प्रतियों की खोज होना आवश्यक है। ___ , कवि की बडी-वडी रचनाओं में से कुछ रास ही अभी तक प्रकाशित हो सके हैं, बहुत से रास अभी अप्रकाशित हैं जिनके प्रकाशित होने पर ही कवि के साहित्यिक कर्तृत्व के सम्बन्ध में प्रकाश डाला जा सकता है। कवि की जीवनी के सम्बन्ध में कोई भी महत्वपूर्ण ऐसी रचना नही मिली जिससे कवि के जन्मस्थान, वश, माता-पिता, विहार, धर्मप्रचार आदि कार्यों की जानकारी मिल सके। प्राप्त साधनो के आधार से कवि के सम्बन्ध में जो कुछ विदित हो सका है, उनकी रचनाओं की सूची के साथ आगे दिया जा रहा है। इस ग्रन्थ में प्रकाशित रचनाएं विविध प्रकार एव शैलियों की है, हमने उनका स्थूल वर्गीकरण तो कर दिया है पर उनकी विशेषताओं आदि के सम्बन्ध में विस्तार से प्रकाश डालने की इच्छा होने पर भी नथ पर्याप्त बडा हो जाने से उस इच्छा का सवरण करना पड़ा है। ___ कवि के रास चौपाई आदि रचनाओ में तत्कालीन प्रसिद्ध अनेक देशियों का उपयोग हुआ है, जिनकी पूरी सूची बनायी जाने पर इस समय की प्रचलित अनेक विस्मृत लोकगीतों की जानकारी मिल सकती है। प्रस्तुत न थ में भी शताधिक देशियों का उपयोग हुमा है जिनकी सूची ग्रन्थ में अन्त में दी जा रही है। जिनराजसूरि, समयसुन्दर आदि १७वीं शताब्दी के उत्तराद्ध के कवियों की रचनाए भी इतनी अधिक लोकप्रिय हो गई थी कि इन रचनाओं की तर्ज में कवि ने अपनी रचनाए
SR No.010382
Book TitleJinaharsh Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1962
Total Pages607
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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