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________________ जिन सिद्धान्त करने वाले अंग हों उसे उपधात नाम कर्म कहते हैं। जैसे चमरी गाय का बाल । प्रश्न-परघात नामकर्म किसे कहते हैं ? उत्तर-जिस कर्म के उदय से दूसरे के घात करने योग्य अंगोपांग मिले, उसे परघात नाम कर्म कहते हैं । जैसे शेरादि का नाखून । प्रश्न-आताप नामकर्म किसे कहते हैं ? उत्तर-जिस कर्म के उदय से उष्णता सहित प्रकाश रूप शरीर हो उसको आताप नामकर्म कहते हैं। जैसेसूर्य का प्रतिविम्व । प्रश्न-उद्योत नामकर्म किसे कहते हैं ? उत्तर-जिस कर्म के उदय से शरीर में चमक उत्पन्न हो, उसे उद्योत नाम कर्म कहते हैं । जैसे चन्द्र, नक्षत्र, चारा तथा जुगनू इत्यादि। प्रश्न-विहायोगति नामकर्म किसे कहते हैं ? ___ उत्तर-जिस कर्म के उदय से आकाश में गमन करने की शक्ति प्राप्त हो, उसे विहायोगति नाम कर्म कहते हैं। प्रश्न-विहायोगति नामकर्म के कितने भेद हैं ? उत्तर-दो भेद हैं (१) शुभ विहायोगति (२) अशुभ विहायोगति । ये कषाय की अपेक्षा से भेद हैं।
SR No.010381
Book TitleJina Siddhant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulshankar Desai
PublisherMulshankar Desai
Publication Year1956
Total Pages203
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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