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________________ जिन सिद्धान्त . . . .. . उत्तर-मिथ्यादृष्टि जीवने मिथ्यात्वभाव का संबर नहीं किया है जिस कारण से उसको चेतन निर्जरा होती नहीं है। प्रश्न-मिथ्याष्टि जीर अंश अश में इच्छा का नाश तो करता है, तर भी उसको चेतन निर्जरा क्यों न होवे ? उत्तर~यथार्थ में मिथ्यादृष्टि जीव इच्छाओं का नाश नहीं कर सकता है परन्तु इच्छाओं को दवा देना है जिस कारण उसको पुण्य बन्ध पड़ता है। प्रश्न-चेतन निर्जरा श्रात्मा के किम गुण की अवस्या का नाम है और वह कॉनमी अवस्था है। ___ उत्तर-चेतन निर्जरा आत्मा के चारित्रगुण की अंग अंश में शुद्धता का नाम है वह उपादेय तत्व है। प्रश्न- जड-निजरा किसे कहते है ? उतर---यात्मा के प्रदेश के माय में एक क्षेत्र के चपन में जो कम है उमम का अंश २ में आत्मा के प्रदेश में अलग हो जाना उमी का नाम जड़ निजंग है। प्रश्न-जड़ निजग कितने प्रकार की है ? उना-जह निजंग दो प्रकार की है (१) मरिपाक निगा । अविराम निजंग। प्रश्न-मरिया निगरिने करने , ?
SR No.010381
Book TitleJina Siddhant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulshankar Desai
PublisherMulshankar Desai
Publication Year1956
Total Pages203
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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