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________________ जिन सिद्धान्त उत्तर-इन्द्रिय जनित सुखकी वांछा करना उसीको निदानरूप आर्तध्यान कहते हैं । जैसे-मैं राजा, महाराजा बन जाऊँ, मेरे पुत्र हो जावे, मुझको धन मिलजावे आदि की वांछा का नाम निदान है। प्रश्न-रौद्र ध्यान किसको कहते हैं ? उत्तर--रौद्र ध्यान के चार प्रकार हैं। (१) हिंसानन्दी, (२) असत्यानन्दी, (३) चौर्यानन्दी, (४) परिग्रहानन्दी। प्रश्न--हिंसानन्दी किसको कहते हैं ? उत्तर--गाय, भैंस, बकरी, मुर्गा, मछली, खटमल, विच्छू आदि जीवों को मारने में आनन्द मानना । जैसे मुर्गे को मैने कैसा मारा, यह सोचकर आनन्द मानना। प्रश्न असन्यानन्दी रौद्रध्यान किसको कहते हैं ? उत्तर--झूठ बोलकर आनन्द मानना । जैसे-कैसी झूठी गवाही दी । आदि। प्रश्न--चौर्यानन्दी रौद्रध्यान किसको कहते हैं ? उत्तर-चोरी करके आनन्द मानना । कैसी इन्कम टेक्स की चोरी की कि कोई पकड़ न सका । प्रश्न-परिग्रहानन्दी रोद्रध्यान किसको कहते हैं ? उत्तर--परिग्रह में आनन्द मानना । मेरा कैसा अच्छा मकान है, आदि।
SR No.010381
Book TitleJina Siddhant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulshankar Desai
PublisherMulshankar Desai
Publication Year1956
Total Pages203
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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