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________________ जिन सिद्धान्त (१) संज्ञा, (२) आर्तध्यान, (३) रौद्रध्यान, (४) हिंसा का उपकरण बनाना, ( ५ ) मिथ्यात्व, (६) कपाय, (७) अशुभ लेश्या । प्रश्न--संज्ञा किसको कहते हैं ? उत्तर--संज्ञा चार प्रकार की होती है-(१) अहारसंज्ञा, (२) भयसंज्ञा, (३) मैथुनसज्ञा, (४) परिग्रहसंज्ञा । प्रश्न-आहारसंज्ञा किसको कहते हैं ? । उत्तर-शुद्ध तथा अशुद्ध आहार खाने का भाव श्राहारसंज्ञा है। वह कर्मफल चेतना का भाव है अतः पाप भाव है। ' प्रश्न-भय संज्ञा किसको कहते हैं ? उत्तर--"मेरा क्या होगा"इस प्रकारके मयका नाम भयसंज्ञा है । यह पाप भाव है। भय सात प्रकार के हैं । (१) इहलोक भय, (२) परलोक भय, (३) मरण भय, (४) अकस्मात भय, (५) वेदना भय, (६) अरक्षा भय, (७) अगुप्ति भय । प्रश्न--मैथुनसंज्ञा किसको कहते हैं ? उत्तर--स्त्री पुरुष के साथ रमण करने के भाव का नाम मैथुनसंज्ञा है। प्रश्न--परिग्रहसंज्ञा किसको कहते हैं ? उत्तर-पांच इन्द्रियों के विषयों को एकत्र करने के
SR No.010381
Book TitleJina Siddhant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulshankar Desai
PublisherMulshankar Desai
Publication Year1956
Total Pages203
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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