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________________ जिन सिद्धान्त १७१ १२० में से तीन प्रकृति घटाने पर ११७ प्रकृतियों का बंध होता है। प्रश्न--मिथ्यात्व गुणस्थान में उदय कितनी प्रकृतियों का होता है ? ' उत्तर-सम्यक्-प्रकृति, सम्यक्-मिथ्याच, अहारक शरीर, अहारक अंगोपांग और तीर्थकर प्रकृति, इन पांच प्रकृतियों का इस गुणस्थान में उदय नहीं होता, इसलिये १२२ प्रकृति में से पांच घटाने पर ११७ प्रकृति का उदय होता है। प्रश्न--मिथ्यात्व गुणस्थान में कितनी प्रकृतियों की सचा रहती है ? उत्तर--१४८ प्रकृतियों की सत्ता रहती है। प्रश्न--सासादन गुणस्थान किसे कहते हैं ? उत्तर-प्रथमोपशम सम्यक्त्वे के काल में जब ज्यादा से ज्याया छह पावली और कमती से कमती एक समय धाकी रहे उस समय अनन्तानुबंधी कपाय का उदय आने से और मिथ्याच का उदय न आने से श्रद्धा गुण ने पारणामिक भाव से मिथ्यात्व रूप अवस्था धारण की हैं, ऐसे जीव को सासादन गुणस्थान वाला कहा जाता है। प्रश्न--प्रथमोपशम सम्यक्त्व किसे कहते है ?
SR No.010381
Book TitleJina Siddhant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulshankar Desai
PublisherMulshankar Desai
Publication Year1956
Total Pages203
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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