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________________ जिन सिद्धान्त उत्तर-सभी संसारी जीवों की क्रमबद्ध तथा अक्रम पर्याय होती है। प्रश्न-आत्मा में एक ही साथ में दो अवस्था कैसी होती होगी? ____ उत्तर-आत्मा में विकारी अवस्था दो प्रकार की होती है (१) अबुद्धिपूर्वक (२) बुद्धिपूर्वक जिसको शास्त्रीय भाषा में औदयिक भाव तथा उदीरणाभाव कहा जाता है । औदयिकमात्र कर्म के उदय के अनुकूल ही होते हैं और कर्म का उदय होना काल द्रव्य के आधीन है जिस कारण औदयिकभाव क्रमबद्ध ही होता है । परन्तु उदीरणाभाव काल के आधीन नहीं है परन्तु आत्मा के पुरुषार्थ के आधीन है जिस कारण आत्मा जो मात्र करे सो कर सकता है इस कारण उदीरणा भाव अक्रम है। प्रश्न-"क्रमबद्ध ही पर्याय होती है। ऐसा सोनगढ़ से प्रतिपादन रूप शास्त्र निकाला है, क्या यह सत्य है ? उत्तर-यह शास्त्र सोनगढ़ ने किस अभिप्राय से निकाला है। शास्त्र प्रकाशित कराने में तीन अभिप्राय होते हैं (१) इस शास्त्र से अनेक जीवों को लाभ हो' (२) इस शास्त्र से किसी जीव को लाभ न हो (३) इस शास्त्र से लाभ-अलाभ कुछ न हो । अब यह सोचिए
SR No.010381
Book TitleJina Siddhant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulshankar Desai
PublisherMulshankar Desai
Publication Year1956
Total Pages203
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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