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________________ जिन सिद्धान्त १२३ उत्तर--जिस भाव में कर्म का सद्भाव तथा प्रभाव कारण न पडे परन्तु स्वतंत्र श्रात्मा भाव करे उस भाव का नाम पारणामिक भाव है। प्रश्न-पारणामिक भाव कितने प्रकार का है ? उत्तर-पारणामिक भाव उपचार से तीन प्रकार का माना गया है (१) चैतन्यत्व (२) भव्यत्व (३) अभव्यत्व । प्रश्न- भन्मस्व और अभव्यत्व गुण है या पर्याय है ? उत्तर--भव्यत्व अभव्यत्व भाव श्रद्धागुण की सहज पर्याय है। जिस पर्याय में कर्म का सद्भाव अभाव कारण नहीं पड़ता है जिस कारण उस भाव को पारणामिक भाव कहा है। प्रश्न- भव्यत्त्व अभव्यत्व किसे कहते हैं ? उत्तर---जिस जीव में सम्यक्दर्शन प्राप्त करने की शक्ति है उस जीव को भव्य जीव कहा जाता है । जिस जीव में सम्यक्दर्शन प्राप्त करने की शक्ति नहीं है उसे अभव्य जीव कहा जाता है। प्रश्न--पारणामिक भाव तीन ही प्रकार के हैं या विशेष हैं ? ___ उत्तर---पारणामिक भाव तीन ही नहीं हैं बल्कि अनेक प्रकार के होते हैं जैसे सासादन - गुण स्थान में पारणामिक माय माना है वहॉ मिथ्यात्व कर्म का उदय
SR No.010381
Book TitleJina Siddhant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulshankar Desai
PublisherMulshankar Desai
Publication Year1956
Total Pages203
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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