SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 124
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ११६ [जिन सिद्धान्त प्रश्न-वार्त-रौद्र-ध्यान कौन से भाव में होता है ? - उत्तरआत्त-रौद्र-ध्यान क्षयोपशमभाव में होता है अर्थात् मिश्र भाव में होता है। आत मौद्र-ध्यान क्षयोपशमभाव की अशुद्ध अवस्था का नाम है । आतरौद्र-ध्यान उदोरणाभाव में अर्थात् बुद्धिपूर्वक राग में ही होता है इसमें प्रधान कारण क्षयोपशम ज्ञान की उपयोग रूप अवस्था है। यदि क्षयोपशम ज्ञान लब्धि रूप रहे तो प्रागौद्र ध्यान रूप मात्र हो ही नहीं सकता है। प्रश्न--क्षयोपशमभाव किसे कहते हैं ? उत्तर- क्षयोपशम भाव कर्म के उदय अनुदय में होता है । जिस भाव को मिश्र भाव भी कहा जाता है। जितने अंश में कर्म का उदय है उतने अंश में बंध पड़ता है और जितने अंश में कर्म का अनुदय है उतने अंश में स्वभाव मात्र है। प्रश्न-क्षयोपशम मात्र कितने प्रकार का है ? उत्तर-क्षयोपशम भाव १८ प्रकार का कहा गया है (१) मतिज्ञान, (२) श्रुतज्ञान (३) अवधिज्ञान (४) मनःपर्ययज्ञान, (५) कुमतिज्ञान (६) कुश्रु तज्ञान (७) कुअवधिज्ञान (८) अचनुदर्शन () चक्षुदर्शन
SR No.010381
Book TitleJina Siddhant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulshankar Desai
PublisherMulshankar Desai
Publication Year1956
Total Pages203
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy