SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 32
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (४) 1 Ե शाला वहरें ॥ इहांसे जयपुर सहर दो मील है साँगानेर दरवाजेके पास नथमलजीका कटडा बडा है वहां सर्व बातका आराम है इनमें ठहरे | और तेरा पंथीके बड़े मंदिरसे एक आदमी मालीको साथ लेवे ॥ प्रथम सहरके भीतरके मंदिर चैत्यालयके दर्शन करे १ फिर मोहन बाडी में करे २ घाटसें ३ खान्या में ४ जगांकी, चावडी के पास ५ हुकमजीवजके || नंदलालजीके ॥ संगहीजी के मंदिरके दर्शन करे ६ खोमें 3 कीर्त्तमके नसियाकेपास मंदिरके आमेरके ए जयपुर आते रस्तेमें दो मंदिरके १० सांगानेरके मंदिरके ११ रोडपुराके मंदिरके १२. रामबागके पासके मंदिरके: १३ चांदपोल दरवाजेकेपास लखमीचंद बोहराके मंदिरके १४ रेलके पासके मंदिरके १५ जैसे मंदिर चैत्यालय सर्व एकसौ अस्सी हैं | इन सर्वके दर्शन करे | खंडेलवाल श्रावकोंके चारहजार घर अंदाज हैं | अगरवाले श्रावकों अढाइसौ घर हैं | प्रोसवाल दिगंबरीके दो घर हैं आगे जादा | और आगे पचास वर्ष पहली जैनी श्रावक दिगंबरोंके सात हजार घर थे । इस नगर में हमे - शा उत्सवमेला रथयात्रा होती है | यह सहर बहुत बडा है ॥ इंद्रपुरीसमान साक्षात जैनपुरी है देखने लायक़ है इस शहर बराबर जैनमतका और शहर किस ·
SR No.010370
Book TitleJain Yatra Darpan
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages61
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy