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________________ [ ज्येष्ठ शुक्ल वीर सं २४३९ । ति. वार. ता "विशेष विवरण गुरु ५ शुक्र | ६ शनि ७ ८ १ < ] आषाढ कृष्ण वीर सं. २४३९ । विशेष विवरण मोक्ष- धर्मनाथका श्रुतपचमी * ति वार. ता १गुरु |१९| २ शुक्र | २० ३ | शनि २१ ४ रवि ०२ ३ रवि ५ सोम । ९ ६ मगल, १० ७ बुध ११ ८-९ गुरु १२ गुरु २६ १० शुक्र १३ ११ शनि १४ ८ | शुक्र |२७| ९ | शनि |२८| १२ | रवि १५ / जन्मत पसुपार्श्वनाथका १० वि २९ जन्मतप नमिनाथ १३ सोम १६ १४ मंगल १७ १५ | बुध ०८ * इसदिन शास्त्रपूजा, शास्त्रदान शास्त्रोंकी संभाल करनाचाहिय । गर्भ-आदिनाथका सोम (२३) ६ | मगल २४ गर्भ वासुपूज्य और बुध २५ मोक्ष विमलनाथ ११ सोम ३० १२ मंगल १ १३ बुध ३ | १४ | गुरु |३०| शुक्र ८ जुलाई ७ वा रोहिणवत चरित्रगठन | कैसा ही कोई बुरे आचरणोंवाला क्यों न हो जो इसे एकबार पढेगा उसी घडीसे अपने आचरण सुधारनेकेलिये तैयार हो जायगा । इतना ही नहीं, उसे अपने बुरे आचरणोंपर घृणा हो जायगी और फिर वह कभी उन का नाम भी न लेगा । लोग अपनो सतानको शिक्षित और सच्चरित्र चनाने केलिये हजारों रुपया खर्च कर डालते हैं तो भी सफल मनोरय नहीं होते हैं ऐसे लोगोंको अपनी सतानको यह पुस्तक देकर परीक्षा करना चाहिये । जो नवयुवक विद्यार्थी अपना चरित्र उत्तम बनाना चाहते हैं उन्हें यह पुस्तक अवश्य पढना चाहिये । इससे मनुष्य अपने समाजमें आदर्श वन सकता है. हिंदीमें यह पुस्तक एक रन हैं । पृष्ठ २३२ मूल्य बारह आना ।
SR No.010369
Book TitleJain Tithi Darpan
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages115
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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