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________________ ( ९२ ) अंग्रेजी और उर्दमें होगा । इसमें जीवदयाके प्रचार करनेवाले अच्छे अच्छे विद्वान् डाक्टरों और साइन्सवेत्ताओंके उत्तमोत्तम लेख तथा और भी सव विषयके लेख रहा करेंगे। पत्र अपने ढङ्गका एक ही होगा । इतनेपर भी मूल्य केवल १)रु० ही रक्खा जाना निश्चित किया गया है । सभा चाहती है कि पत्रका जन्म मार्च महीनेसे हो जाय । दयाप्रेमियोंको ग्राहक होनेकी स्वीकारता देनी चाहिए । अमोलकचन्द फिरोजपुरछावनी। जैनतत्त्वप्रकाशक-इटावेका तत्त्वप्रकाशक प्रकाशित होगया। रत्नमाला-सुना तो यह था कि खुजैकी श्रीमती रत्नमालाके दर्शन एक ही सप्ताह बाद हो जायेंगे । फिर न जाने क्यों सप्ताहपर सप्ताह वीत गये तब भी उसके अभीतक दर्शन नहीं हुए यह विलम्ब एक गहरा सन्देह पैदा करता है । हम तो यह चाहते थे कि माला अपनी कामनाएं पूर्ण करके विश्रान्ति लाभ करती । - जैनबोर्डिङ्ग-यह जानकर बड़ी खुशी हुई कि वड़वानी (निमाड़ ) में श्रीयुक्त ब्रह्मचारी शीतलप्रसादनी और मास्टर दर्यावसिंहजीके उद्योगसे जैनबोर्डिङ्गकी स्थापना हुई है। उसके लिए लगभग छह सात हजारका द्रव्य भी लिखा गया है। विशेष खुशीकी यह बात है कि वहांके महाराजा साहब भी इसके सहायक हैं। इस प्रजा प्रेमके लिए महाराजा साहव धन्यवादके पात्र हैं। निमाड़ प्रान्तके जैनियोंमें सबसे पहला जागृतिका चिन्ह यही है ।
SR No.010369
Book TitleJain Tithi Darpan
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages115
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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