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________________ सीमा में फेंक दी जाती है। अतः इस अवस्था के अन्तर्गत इच्छा और अनिच्छा, छल तथा कपट से इस जीवन को अपना लेना कोई बहुत अनर्गल नही लगता। इसके अलावा उचित संरक्षण के अभाव तथा अनमेल वैवाहिक सम्बन्धों से असफल जीवन में साम्पत्तिक अधिकारों से अलग रहकर नारी को वेश्या जीवन अपना लेना कोई आश्चर्यजनक नहीं है। संसार के सभ्य कहलाने वाले देशों में भी, जहाँ उसे जीविकोपार्जन का अवसर भी उपलब्ध है, वैश्या जीवन व्यतीत करने वाली स्त्रियाँ विद्यमान हैं। ऐसी दशा में वहाँ वेश्या समस्या के मूल में मात्र आर्थिक आधारहीनता ही नहीं है, बल्कि वहाँ आर्थिक-विषमता, सांस्कृतिक गतिरोध, भौतिकतावादी संस्कृति का विकृत रूप तथा नैतिक मूल्यों का विघटन आदि नारी को वेश्या जीवन की ओर प्रेरित करते हैं। यही कारण है कि उन देशो का आदमी अधिक भोगवादी है। लेकिन भारत की स्थिति उससे अलग है। डॉ० रमेश तिवारी के शब्दों में - ___"जिस देश में नारी के लिए युगों से सतीत्व तथा पातिव्रत्य धर्म सर्वोच्च रहें हो तथा जिस देश की आत्मा ही सतीत्व पर टिकी हुई हो, वहाँ भी वेश्यावृत्ति का अबाध प्रचलन बहुत अधिक लज्जास्पद लगता है। भारतीय समाज में इस समस्या के कुछ अन्य कारण ही रहे हैं। अन्य देशों में भले ही उसके मूल में नारी की चरित्रहीनता तथा नैतिक पतनशीलता रही हो, लेकिन भारत में नारी की आर्थिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक परिस्थितियों ने ही प्रोत्साहित किया है। जैनेन्द्र के अनुसार सृष्टि के आरम्भ में नर और नारी दो ही थे। समाज में वेश्या को स्थान तो अर्थ-वृद्धि होने पर ही हुआ था। जैनेन्द्र 37 डॉ० रमेश तिवारी - हिन्दी उपन्यास साहित्य का सांस्कृतिक अध्ययन, पृष्ठ - 148 [62]
SR No.010364
Book TitleJainendra ke Katha Sahitya me Yuga Chetna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjay Pratap Sinh
PublisherIlahabad University
Publication Year2002
Total Pages253
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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