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________________ कोई भी साहित्यकार चाहे कवि हो, कहानीकार हो, निबन्धकार हो, आलोचक हो, जीवनी लेखक हो, नाटककार हो, और चाहे कथा साहित्यकार क्यों न हो - जब वह प्राचीन साहित्य से प्रेरणा ग्रहण कर वर्तमान का उसके साथ सम्बन्ध स्थापित कर साहित्य की रचना करता है तो युग प्रतिनिधि साहित्यकार कहलाता है और उसका साहित्य युग-साहित्य के श्रेणी में अपना स्थान बनाता है। ऐसे साहित्य का मूल्य शाश्वत है। यही कारण है कि कालिदास, तुलसीदास, शेक्सपीयर आदि का साहित्य काल-ग्रही है। साहित्य जगत में गोर्की, प्रेमचन्द, भगवतीचरण वर्मा एवं जैनेन्द्र कुमार के कथा साहित्य भी इसी कोटि के हैं, जिनका अत्यधिक महत्व है । इस प्रकार युग साहित्य के सृजक एवं उनके कथा साहित्य का मूल्य शाश्वत होता है। इस सन्दर्भ में डॉ० एच०बी० रूथ का विचार द्रष्टव्य है - ___ “वह साहित्य या कला में एक नयी दृष्टि खोजता है। इसलिए महान कृति में नवीनता द्वारा चकित कर देने की शक्ति होनी चाहिए, जिससे पाठक प्रारम्भ में ही आगे पढ़ने के लिए उत्सुक हो जायें। अनुभूतियाँ गम्भीर एवं व्यापक छवियों की निर्मात्री हैं तथा हैं- कारयित्री प्रतिभा की क्रीड़ा भी।19 प्रत्येक कथाकार अपने युगीन परिवेश के साथ प्रयोगशील भी होता है। यही प्रयोगशीलता ही नवीनता की सूचक है। श्रेष्ठ साहित्यकार परम्परा और प्रयोग दोनों का एक साथ निर्वाह करता है। वह एक ओर तो अपनी पूर्ववर्ती प्रवृत्तियों से कुछ न कुछ प्रेरणा ग्रहण करता है तथा दूसरी ओर युगचेतना का अवलम्ब लेकर विषय-वस्तु, शिल्प और भाषा में कुछ मौलिक परिवर्तन ग्रहण करता है। साहित्य में नये प्रयोग रूढ़ियों पर प्रहार तथा पृष्ठभूमि के प्रति सतर्कता से ही होते हैं। कथाकार का सबसे बड़ा दायित्व समाज के लिए होता है, जिसके 19. डॉ० एच०बी० रूथ इंगलिश लिटलेचर आइडियाज इन दी ट्वेन्टीय सेन्चुरी, पृष्ठ -2 1171
SR No.010364
Book TitleJainendra ke Katha Sahitya me Yuga Chetna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjay Pratap Sinh
PublisherIlahabad University
Publication Year2002
Total Pages253
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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