SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 11
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 141-156 अध्याय-4 जैनेन्द्र के कथा साहित्य में दार्शनिक चेतना 122-140 • कथा साहित्य और दार्शनिक चेतना : अन्तर्सम्बन्ध • जैनेन्द्र की दार्शनिक चेतना का स्वरूप • नियतवादी दार्शनिक चेतना • आस्थामूलक भाग्यवादिता • निष्काम कर्मयोग • पुनर्जन्म, मृत्यु और अमरत्व अध्याय-5 जैनेन्द्र के कथा साहित्य में मनोवैज्ञानिक __ चेतना • कथा साहित्य और मनोविज्ञान : अन्तर्सम्बन्ध • जैनेन्द्र के पुरुष पात्रों में मनोवैज्ञानिक चेतना • जैनेन्द्र के नारी पात्रों में मनोवैज्ञानिक चेतना अध्याय-6 जैनेन्द्र के कथा साहित्य में शिल्पगत चेतना157-209 • कला और शिल्प तथा युग चेतना : अन्तर्सम्बन्ध • कला का स्वरूप • साहित्य में शिल्प प्रयोग एवं उसका आशय • जैनेन्द्र के कथा साहित्य में शिल्पगत चेतना • कथावस्तु-शिल्प • चरित्र-चित्रण-शिल्प • स्वप्न-दिवास्वप्न-विभ्रम • सम्मोहन तथा मुक्त आसंग
SR No.010364
Book TitleJainendra ke Katha Sahitya me Yuga Chetna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjay Pratap Sinh
PublisherIlahabad University
Publication Year2002
Total Pages253
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy