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________________ वे तीन : १ ः : गुरु चर्खे पर बैठे थे । युवक ने आकर कहा, "वह बुढ़िया मर गई है ।" " मर गई है, " आँख ऊपर उठाकर गुरु ने कहा । “अच्छा चलो मैं आता हूँ ।" कहकर चर्खा कातने लगे । पोनी पूरी हो गई, सूत की आँटी बन गई, तब चर्खे को यथास्थान रखकर वह उठ खड़े हुए । : २ : कवि बौर से छाये आम के पेड़ की छाँह में घास पर बैठे बाँसुरी बजा रहे थे । “कवि, बाँसुरी रोकोगे ?” गुरु बोले, "वह बुढ़िया मर गई है । जमना चल सकोगे ?” कवि ने बाँसुरी जेब में रख ली। आँसू नहीं आने दिए । मर गई है ! तत्क्षण कंपित स्वर में उन्होंने भी कहा, "अच्छा चलो ।”
SR No.010356
Book TitleJainendra Kahani 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvodaya Prakashan
PublisherPurvodaya Prakashan
Publication Year1953
Total Pages236
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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