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________________ जनेन्द्र की कहानियां [तृतीय भाग] ढोंगी बनने को तैयार हो जाते हैं वह चीज़ अब यहाँ कहाँ है ? इसलिए वह अब किस वजह से छली या ढोंगी बनेंगे। यों तो हम में से कौन समय पर ढोंग और चालाकी नहीं कर जाता है। जाओ, उसको खोल दो।" वैरागी के कारण अनमने मन से गाँव वाले गये और मङ्गलदास के बन्धन खोल दिये। मङ्गलदास पर इसका बहुत असर हुआ और वह वैरागी के चरणों में गिरकर माफी माँगने लगा। फिर गाँव-वालों ने मिलकर अपनी श्रद्धा की मेहनत से वहाँ पक्के घाट का तालाब तैयार किया और अनगिनती कमल के फूलों से लाल-लाल वह लाल सरोवर अब भी उस जगह लहरा रहा है ।
SR No.010356
Book TitleJainendra Kahani 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvodaya Prakashan
PublisherPurvodaya Prakashan
Publication Year1953
Total Pages236
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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