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________________ इतिहास २१ के दिन क्षपक श्रेणिपर आरोहण किया और चार घातिया कर्मोंका नाश करके केवल ज्ञान प्राप्त किया।' ___ केवलज्ञान प्राप्त कर लेनेके बाद भगवान महावीरने ६६ दिनतक मौनपूर्वक विहार किया, क्योंकि तबतक उन्हें कोई गणधर गणका-संघका धारक, जो कि भगवानके उपदेशोंको स्मृतिमें रखकर उनका संकलन कर सकता, नहीं मिला था। विहार करते करते महावीर मगध देशकी राजधानी राजगृहीमें पधारे और उसके बाहर विपुलाचल पर्वतपर ठहरे । उस समय राजगृहीमें राजा श्रेणिक रानी चेलनाके साथ राज्य करते थे। __ वहींपर आसाढ़ शुक्ला पूर्णिमा, जिसे गुरुपूर्णिमा भी कहते हैं, के दिन' इन्द्रभूति नामका गौतमगोत्रीय वेद-वेदांगमें पारंगत एक शीलवान ब्राह्मण विद्वान जीव अजीव विपयक सन्देहको दूर करने के लिये महावीर के पास आया। और सन्देह दूर होते ही उसने महावीर के पादमूलमें जिनदीक्षा ले ली और उनका प्रधान गणधर बन गया। उसके बाद ही प्रातःकालमें भगवान महावीरकी प्रथम देशना हुई। जैसा कि प्राचीन गाथाओंमें लिखा है पंचशैलपुरमें ( पाँच पर्वतोंसे शोभायमान होनेके कारण १ 'गोत्तेण गोदमो विप्पो चाउब्वेय-संडगवि । णामेण इंदभूदिति सीलवं ब्रह्मणुत्तमो ॥' -धवला १ खं०, पृ० ६५ । २ 'पंचसेलपुरे रम्मे विउले पव्वदुत्तमे ।। णाणादुमसमाइण्णे देवदाणववंदिदे । महावीरेणत्थो कहिओ भवियलोयस्स ।' ___-धव० १ खं०, पृ० ६१ । ३ 'श्वेताम्बर साहित्यमें लिखा है कि महावीरके प्रथम समवसरणमें केवल देवता ही उपस्थित थे, कोई मनुष्य नहीं था इससे धर्मतीर्थका प्रवर्तन-महावीरका प्रथमोपदेश वहाँ नहीं हो सका।
SR No.010347
Book TitleJain Dharm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKailashchandra Shastri
PublisherBharatiya Digambar Sangh
Publication Year1966
Total Pages411
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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