SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 613
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १२. जैनदार्शनिक साहित्य इस प्रकरणमें प्रमुख रूपसे उन प्राचीन जैनदार्शनिकों और मूल जैनदर्शन-ग्रन्थोंका नामोल्लेख किया जायगा, जिनके ग्रन्थ किसी भंडारमें उपलब्ध हैं तथा जिनके ग्रन्थ प्रकाशित हैं । उन ग्रन्थों और ग्रन्थकारोंका निर्देश भी यथासंभव करनेका प्रयत्न करेंगे, जिनके ग्रन्थ उपलब्ध तो नहीं हैं, परन्तु अन्य ग्रन्थोंमें जिनके उद्धरण पाये जाते हैं या निर्देश मिलते हैं। इसमें अनेक ग्रन्थकारोंके समयकी शताब्दी आनुमानिक हैं और उनके पौर्वापर्यमें कहीं व्यत्यय भी हो सकता है, पर यहाँ तो मात्र इस बातकी चेष्टा की गई है कि उपलब्ध और सूचित प्राचीन मूल दार्शनिक साहित्यका सामान्य निर्देश अवश्य हो जाय । इस पुस्तकके ‘पृष्ठभूमि और सामान्यावलोकन' प्रकरणमें जैनदर्शनके मूल बीज जिन सिद्धान्त और आगम ग्रन्थों में मिलते है, उनका सामान्य विवरण दिया जा चुका है, अतः यहाँ उनका निर्देश न करके उमास्वाति (गृद्धृपिच्छ ) के तत्त्वार्थसूत्रसे ही इस सूचीको प्रारम्भ कर रहे हैं । दिगम्बर आचार्य तत्त्वार्थसूत्र प्रकाशित उमास्वाति(वि० १-३ री) १. श्रीवर्णोग्रन्थमाला, बनारसमें संकलित ग्रन्थ-सूचीके आधारसे । ३७
SR No.010346
Book TitleJain Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendramuni
PublisherGaneshprasad Varni Digambar Jain Sansthan
Publication Year1966
Total Pages639
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy