SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 27
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ दो शब्द प्रिन्सिपल गवर्नमेंट संस्कृत कालेजने अपना अमूल्य समय लगाकर 'प्राक्कथन' लिखनेकी कृपा की है। पार्श्वनाथ विद्याश्रमकी लाइब्रेरीमें बैठकर ही इस ग्रन्थका लेखन कार्य हुआ है और उसकी बहुमूल्य ग्रंथराशिका इसमें उपयोग हुआ है । भाई पं० फूलचन्द्र जी सिद्धान्तशास्त्रीने, जो जैन समाजके खरे विचारक विद्वान् हैं, आड़े समयमें इस ग्रन्थको जिस कसकआत्मीयता और तत्परतासे श्रीगणेशप्रसाद वर्णी जैन ग्रन्थमालासे प्रकाशित करानेका प्रबन्ध किया है उसे मैं नहीं भुला सकता। मैं इन सबका हार्दिक आभार मानता हूँ। और इस आशासे इस राष्ट्रभाषा हिन्दीमें लिखे गये प्रथम 'जैनदर्शन' ग्रन्थको पाठकोंके सन्मुख रख रहा हूँ कि वे इस प्रयासको सद्भावकी दृष्टिसे देखेंगे और इसकी त्रुटियोंकी सूचना देनेकी कृपा करेंगे, ताकि आगे उनका सुधार किया जा सके । विजयादशमी -महेन्द्रकुमार न्यायाचार्य वि० सं० २०१२ प्रध्यापक संकृत महाविद्यालय ता० २६।१०।५५) हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी
SR No.010346
Book TitleJain Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendramuni
PublisherGaneshprasad Varni Digambar Jain Sansthan
Publication Year1966
Total Pages639
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy