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________________ श्री भगवती सूत्र आहारगतेयगाइ पडुच्च पचवन्ना जाव अट्टफासा पण्णता, कम्मगं जीवं च पडुच्च जहा नेर०, वाणमतरजोइसियवेमाणिया जहा नेर०, धम्मत्थिकाए जाव पोग्गल० एए सव्वे अवन्ना, नवरं पोग्ग० पंचवन्ने पंचरसे दुगंधे अट्ठफाये पण्णते, णाणावरणिज्जे जाव अंतराइए एयाणि चउफासाणि, कण्हलेसा णं भंते ! कइवन्ना० १, पुच्छा दव्वलेसं पडुच्च पचवन्ना जाव अट्ठफासा पण्णचा, भावलेसं पडुच्च अवन्ना ४, एवं जाव सुक्कलेसा, सम्मद्दिदिठ ३ चक्खुद्द मणे ४ आभिणिवोहियणाणे जाव विभंगणाणे आहारसन्ना जाव परिग्गहमन्ना एयाणि कम्मगसरीरे चउफासे, मणजोगे वयजोगे य चउफासे, कायजोगे अट्ठफासे, सागारोवोगे य अणागारोवांगे य अवन्ना। सव्वदव्या णं भते । कतिवन्ना , पुच्छा, गोयमा । अत्थेगतिया सव्वदव्या पचवन्ना जाव अठ्ठफामा पण्णत्ता अत्थेगतिया सव्वदव्या पंचवन्ना चउफासा पराण । अत्थेगतियों सव्वदव्या एगगंधा एगवण्णा एगरसा दुफासा पन्नत्ता अत्थेगतिया सव्वदव्या अवन्ना जाव अफासा पन्नत्ता, एवं
SR No.010345
Book TitleJainagamo me Syadvada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherJain Shastramala Karyalaya Ludhiyana
Publication Year
Total Pages289
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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