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________________ ३. उ. मू. आ. उव ठाणा न. to र. १ = उ २ उ. ३ उ ४ = ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ₹ ५ न्च ६ = संकेत - परिचय दशवेकालिक उत्तराध्ययन सूयगढाङ्ग आचाराङ्ग उववाइ सिद्ध ठाणाङ्ग नदी "सूत्र वाचक' "अक्षर" के आगे पहली संख्या " अध्ययन" का नवर बतलाती है और दूसरी सख्या उसी अध्ययन का गायों का नवर समझाता है । उद्देशा उद्देशा पहला उद्देगा दूसरा उद्देगा तीसरा उद्देशा चौथा सूत्र 32 उद्देशा पाचवा उद्देगा छठ्ठा "" " " 17 39 इसी प्रकार उद्देशा के उस सूत्र का क्रम नवर समझाती है । गद्य सम्या = नदी सूत्र की प्रारंभिक गाथाओ के कम नवर को समझाती है । ८ उ" के आगे "उहेगा" के नंबर के आगे की सख्या = उववाइ सूत्र का सिद्ध वर्णन । संख्या = उववाह सूत्र के सिद्ध-वर्णन सवधी गाथाओ के क्रमः नवर समझना । छा० संख्या = ठाणांग सूत्र के ठाणो का क्रम नवर समझना । 31० सख्या-सख्या= ठाणाङ्ग सूत्र के ठाणो के सूत्रो का क्रम नवर f '
SR No.010343
Book TitleJainagam Sukti Sudha Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanrushi Maharaj, Ratanlal Sanghvi
PublisherKalyanrushi Maharaj Ratanlal Sanghvi
Publication Year1950
Total Pages537
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size13 MB
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