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________________ ( १९ ) परन्तु बाप यहाँ इतनी दूर चल कर आये, इसमें कितने वायु कायिक एकेन्द्रिय जीवों की हिंसा हुई ? साथ ही थोड़ी बहुत अन्य स्थावर तथा त्रस जीवों की भी हिंसा हुई होगी। यह हिंसा आपने किसके हित के लिए की १ बापका धर्म कौन सुनेगा ? आपके धर्म से किसको लाभ होगा ? मनुष्य ही सुनेंगे या एकेन्द्रियादि जीव भी ? आपके धर्म से यदि कुछ लाभ होगा तो मनुष्य को ही होगा या एकेन्द्रियादि जीवों को ? उनके लाभ के विषय में तो आप स्पष्ट कहते हैं . केइक अज्ञानी इम कहे, छः काया का जे हो देवाँ धर्म उपदेश । एकण जीव ने समझावियाँ, मिट जावे हो घणा जीवां रा क्लेश | छ: काय घरे शान्ति हुवे, एहवा भाषे हो अन्य तीर्थी धर्म । त्याँ भेद न पायो जिन धर्म रोते तो भूल्या हो उदय आया अशुभ कर्म ।। __ ('अनुकम्पा' ढाल पाँचवीं) इस कथनानुसार आपका उपदेश और किसी के कल्याण के लिए तो है ही नहीं। केवल उन्हीं के कल्याण के लिए हो सकता है, जो शान, दर्शन, चारित्र और तप स्वीकार कर सकते हैं और ऐसा मनुष्य ही कर सकते हैं। इस प्रकार आपका आगमन केवल मनुष्यों के हित के लिए ही रहा न? परन्तु मनुष्यों के
SR No.010339
Book TitleJain Darshan me Shwetambar Terahpanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShankarprasad Dikshit
PublisherSadhumargi Jain Shravak Mandal Ratlam
Publication Year1942
Total Pages195
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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