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________________ ५८ ] निर्वाण जैन- अंगशास्त्र के अनुसार मानव-व्यक्तित्व का विकास महावीर लगभग ३० वर्षो तक तीर्थकर अवस्था में भ्रमण कर जनता को सदुपदेश देते रहे और अत मे ७२ वर्ष की आयु में, कार्तिक कृष्णा अमावस्या को पापा (पावा ) में निर्वाण प्राप्त कर सिद्ध, वुद्ध तथा मुक्त हो गए ।" जिस रात्रि को महावीर ने निर्वाण प्राप्त किया, उसी रात्रि को उनके प्रधान गिष्य गौतम इन्द्रभूति को केवलज्ञान प्राप्त हुआ । निर्वाण प्राप्ति की रात्रि के उष काल मे काशी और कोशल तथा मल्लकि और लिच्छवि वश के १८ राजाओ ने यह कहकर कि अव ससार से ज्ञान का प्रकाश सदा के लिए अस्त हो गया, अत हमे पार्थिव दीपको का प्रकाश करना चाहिए, दीपमाला प्रज्वलित की । 3 महावीर ३० वर्ष तक गृहस्थ अवस्था मे कुछ अधिक १२ वर्ष तक अर्द्ध विकसित अवस्था मे, कुछ कम 30 वर्ष तक केवली अवस्था मे, ४२ वर्ष तक श्रमण अवस्था में, इस प्रकार कुल ७२ वर्ष तक संसार मे रहे । भगवान् महावीर का निर्वाणकाल ४६७ ईसा पूर्व है | भगवान् पार्श्व के निर्वाण के २५० वर्ष वाद महावीर ने निर्वाण प्राप्त किया ।" उपदेश वारह वर्ष के निरन्तर तपञ्चरण के वाद महावीर को सम्पूर्ण वस्तुओ के सम्पूर्ण भावो तथा अवस्थाओ को एक साथ जानने वाला अव्याहत एव निरावरण केवलज्ञान तथा केवलदर्शन उत्पन्न हुआ । इसके बाद उन्होने मानवजाति के कल्याण के लिए उपदेश देना १. जैन सूत्राज् भाग १ ( कल्पसूत्र ) १२३, पृष्ठ २६५ २ वही १२७, पृ० २६६ ३. वही १२८, पृ० 21 ४. वही १४७, पृ० २६७. ५ मुनि कल्याण विजयजी के अनुसार महावीर का निर्वाणकाल ५२८ ई० पू० हैं । वे कहते हैं कि महावीर ने बुद्ध के परिनिर्वाण के १४ वर्ष वाद निर्वाण पाया - "वीर निर्वाण सवत् और काल-गणना", नागरी प्रचारिणी पत्रिका, पृ० २१.
SR No.010330
Book TitleJain Angashastra ke Anusar Manav Vyaktitva ka Vikas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarindrabhushan Jain
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1974
Total Pages275
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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