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________________ परिशिष्ट सहायक ग्रन्थ-सूची १. सुत्तागमे २. आचाराग ३ सूत्रकृताग जैन-अंगशास्त्र सम्पादक, पुप्फभिक्खु, गुडगाव छावनी, १९५३ । अग्रेजी अनुवाद, हरमन जेकोबी, "सेक्रेड बुक ऑफ दी ईस्ट" पुस्तक न० २२, जैनसूत्राज्, भाग १, १८८४। नियुक्ति, भद्रवाहु, सूरत, १९३५ वृत्ति, गोलाकाचार्य, सूरत, १६३५ । चूणि, जिनदासगणी, रतलाम. १९४१ । हिन्दी अनुवाद (हि०), गोपालदास जीवाभाई, पटेल, वम्बई, १९३८ । अग्रेजी अनुवाद, हरमन जेकोबी, "सेक्रेड बुक आफ दी ईस्ट" पुस्तक न० ४५, जैनसूत्राज् भाग २,१८६५। नियुक्ति, भद्रबाहु । चूर्णि, जिनदासगणी, रतलाम, १९४१ । वृत्ति, शीलाकाचार्य, आगमोदय समिति, बम्बई, १९१७। हिन्दी टीका, पं० अविकादत्त ओझा, राजकोट, विक्रम सवत् १९९३ । (३ भाग) हिन्दी अनुवाद (हि.), गोपालदास जीवाभाई पटेल, वम्बई, १६३८ । वृत्ति, अभयदेव, अहमदावाद, १९३७ । वृत्ति, अभयदेव, अहमदावाद, १६३८ । ४ स्थानाग ५. समवायाग
SR No.010330
Book TitleJain Angashastra ke Anusar Manav Vyaktitva ka Vikas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarindrabhushan Jain
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1974
Total Pages275
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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