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________________ दसवेआलियं पंचमं अज्झयणं पिंडे सणा ( बीओ उद्दसो) पडिग्गहं संलिहित्ताणं लेव-मायाए संजए। दुगंधं वा सुगं वा सव्वं भुजे न छड्डए ॥ १ ॥ . सेज्जा निसीहियाए समावन्नो व गोयरे। अयावयट्ठा भोच्चाणं जइ तेणं न संथरे ॥ २ ॥ तओ कारणमुप्पन्ने भत्तपाणं गवेसए । विहिणा पुव्व-उत्तेण इमेणं उत्तरेण य ।। ३ ।। कालेण निक्खमे भिक्खू कालेण य पडिक्कमे। अकालं च विवज्जेत्ता काले कालं समायरे ।। ४ ।। अकाले चरसि भिक्खु कालं न पडिलेहसि । अप्पाणं च किलामेसि सन्निवेसं च गरिहसि ॥ ५ ॥ . सइ काले चरे भिक्खू कुज्जा पुरिसकारियं । अलाभोत्ति न सोएज्जा तवो त्ति अहियासए ॥ ६ ॥ तहेवुच्चावया पाणा भत्तट्ठाए समागया। तं-उज्जुयं न गच्छेज्जा जयमेव परक्कमे ॥ ७ ॥ गोयरग्ग-पविट्ठो उ न निसीएज्ज कत्थई। कहं च न पबंधेज्जा चिट्ठित्ताण व संजए ॥ ८ ॥ अग्गलं फलिहं दारं कवाडं वा वि संजए। अवलं विया न चिट्ठज्जा गोयरग्गगओ मुणी ॥ ६ ॥
SR No.010329
Book TitleJainagam Pathmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAkhileshmuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1974
Total Pages383
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size11 MB
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