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________________ पंचमं अभयणं ( पढमोद्देसो) तं भवे भत्तपाणं तु संजयाण अकपियं । देतियं पडियाइक्खे न मे कप्पई तारिसं ॥ ५४ ॥ 1 उद्देसिय कीयगड पूईकम्मं च आहडं । अज्झोयर पामिच्चं मीसजायं च वज्जए ।। ५५ ।। उग्गमं से पुच्छेज्जा कस्सट्ठा केण वा कडं ? | सोच्चा निस्संकियं सुद्धं पडिगाहेज्ज असणं पाणगं वा वि खाइमं पुप्फेसु होज्ज उम्मीसं बीएसु असणं पाणगं वा वि खाइमं तेउम्मि होज्ज निक्खित्तं तं च २१ तं भवे भत्तपाणं तु संजयाण अकप्पियं । देतियं पडियाइक्खे न मे कप्पइ तारिसं ॥ ५८ ॥ असणं पाणगं वा वि खाइमं साइमं तहा । उदगम होज्ज निक्खित्तं उत्तिगपणगेसु वा ॥ ५६ ॥ तं भवे भत्तपाणं तु संजयाण अकप्पियं । देतियं पडियाइक्खे न मे कप्पइ तारिसं ॥ ६० ॥ एवं उस्सक्किया ओसक्किया संजए ॥ ५६ ॥ साइमं तहा । हरिएसु वा ॥। ५७ ।। उस्सि चिया अकप्पियं । तं भवे भत्तपाणं तु संजयाण देंतियं पंडियाइक्खे न मे कप्पइ तारिसं ।। ६२ ।। ओवत्तिया उज्जा लिया पज्जा लिया निव्वाविया | निस्सि चिया साइमं तहा । संघट्टिया दए ।। ६१ ॥ ओयारिया दए ।। ६३ ।।
SR No.010329
Book TitleJainagam Pathmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAkhileshmuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1974
Total Pages383
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size11 MB
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