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________________ __ छत्तीसइमं अज्झयण - २६६ संतई पप्पाऽणाईया अपज्जवसिया वि य। ठिई पडुच्च साईया सपज्जवसिया वि य ॥२१६।। साहियं सागरं एक्कं उक्कोसेण ठिई भवे । भोमेज्जाणं जहन्नेणं . दसवाससहस्सिया ॥२२०॥ पलिओवममेगं तु उक्कोसेण ठिई भवे। . ' वन्तराणं " जहन्नेणं दसवाससहस्सिया ॥२.१।। पलिओवमं एगं तु वासलक्खेण साहियं । : पलिओवमऽट्ठभागो जोइसेसु जहन्निया ।।२२२।। दो चेव सागराइं उक्कोसेण वियाहिया। सोहम्ममि जहन्नेणं एगं च पलिओवमं ॥२२३।। सागरा साहिया दुन्नि उक्कोसेण वियाहिया। ईसाणम्मि . जहन्नेणं साहियं । पलिओवमं ।।२२४।। सागराणि य सत्तेव उक्कोसेण · ठिई भवे । सगंकुमारे जहन्नेणं ; दुन्नि ऊ सागरोवमा ।।२२।। साहिया सागरा सत्त उक्कोसेण ठिई भवे । । माहिन्दम्मि जहन्नेणं साहिया दुन्नि सागरा ॥२२६।। दस चेव सागराइं उक्कोसेण ठिई भवे । बम्भलोए जहन्नेणं. सत्त ऊः सागरोवमा ॥२२७।। चउद्दस सांगराई उक्कोसेण ठिई भवे । लन्तगम्मि जहन्नेणं दस ऊ सागरोवमा ।।२२८।। सत्तरस सागराइ उक्कोसेण ठिई भवे । । महासुक्के जहन्नेणं. चउद्दस सागरोवमा ।।२२६।।
SR No.010329
Book TitleJainagam Pathmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAkhileshmuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1974
Total Pages383
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size11 MB
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