SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 255
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ चउतीसइमं अन्मयणं २४५ दस उदही पलिय - मसंखभागं जहन्निया होइ । . तेत्तीससागराइं उक्कोसा, होइ किण्हाए. लेसाए ।। ४३ ॥ एसा नेरइयाणं, लेसाण ठिई उ वणिया होइ। तेण परं वोच्छामि तिरियमणुस्साण देवाणं ।। ४४ ॥ · अन्तोमुहत्तमद्धं लेसाण ठिई जहिं जहिं जा उ। तिरियाण नराणं वा, वज्जित्ता केवलं लेसं ।। ४५ ॥ मुहुत्तद्धं .. तु जहन्ना, उक्कोसा होइ पुवकोडी उ । नवहि वरिसेहि. ऊणा, नायव्वा सुक्कलेसाए ।। ४६।। एसा तिरियनराणं, लेसाण ठिई उ वणिया होइ। तेण परं वोच्छामि, लेसाण ठिई उ देवाणं ॥ ४७ ।। दस वाससहस्साई, किण्हाए ठिई जहन्निया होइ । पलियमसंखिज्जइमो, उक्कोसा होइ किण्हाए ।। ४८ ।। जा किण्हाए ठिई खलु, उक्कोसा सा उ समयमभहिया। जहन्नेणं. नीलाए, पलियमसंखं तु उक्कोसा ।। ४६ ॥ जा नीलाए ठिई खलु, उक्कोसा साउ समयमभहिया । जहन्नेणं काऊए, पलियमसंखं च उक्कोसा ।। ५० ।। तेण परं वोच्छामि, तेउलेसा जहा सुरगणाणं । भवणवइवाणमन्तर, जोइसवेमाणियाणं च ।। ५१ ॥ पलिओवमं जहन्ना, उक्कोसा सागरा उ दुण्हहिया। पलियमसंखेज्जेणं, . होई भागेण तेऊए ।। ५२ ।। दस वाससहस्साइं, तेऊए ठिई जहन्निया होइ। दुण्णुदही पलिओवम, असंखभागं च उक्कोसा ॥ ५३ ।
SR No.010329
Book TitleJainagam Pathmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAkhileshmuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1974
Total Pages383
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy