SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 23
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ . चउत्थं अज्झयणं १३ अजयं चरमाणो उ पाणभूयाई हिंसई । बंधई पावयं कम्मं तं से होई कडुयं फलं ।। १ ।। . अजयं चिट्ठमाणो उ पाणभूयाइं हिंसई। बंधई पावयं कम्मं तं से होइ कडुयं फलं ।। २ ।। अजयं आसमाणो उ पाणभूयाइं . हिंसई। वंधई पावयं कम्मं तं से होइ कडुयं फलं ॥ ३ ॥ अजयं सयमाणो उ पाणभूयाइं हिंसइ । बंधई पावयं कम्मं तं से होइ कडुयं फलं ॥ ४ ॥ अजयं भुजमाणो उ पाणभूयाइं हिंसई । बंधई पावयं कम्मं तं से होइ कडुयं फलं ॥ ५ ॥ अजयं भासमाणो उ पाणभूयाई हिंसई ।। बंधई. पावयं कम्मं तं से होइ कडुयं फलं ।। ६ ।। कहं चरे ? कहं चिट्ठ ? कहमासे ? कहं सए ? .. कहं भुजन्तो भासन्तो पावं कम्मं न बंधई ? ॥ ७ ॥ .. जयं चरे जयं चि? जयमासे जयं सए । .. जयं भुजन्तो भासन्तो पावं कम्मं न बंधई ।। ८ ।। सव्वभूयप्पभूयस्स ... सम्मं भूयाइ पासओ। पिहियासवस्स दंतस्स पावं कम्म न बंधई ॥ ६ ॥ .... पढ़मं नाणं तओ दया एवं चिट्ठइ सव्वसंजए । अन्नाणो कि काही ? किं वा नाहिइ छेय पावगं? ॥१०॥ सोच्चा जाणइ कल्लाणं सोच्चा जाणइ पावगं । उभयं पि जाणइ सोच्चा जं. छेयं तं समायरें ॥ ११॥ । . . . सन
SR No.010329
Book TitleJainagam Pathmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAkhileshmuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1974
Total Pages383
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy