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________________ हम और हमारे कार्य के बारे में कुछ सम्मतियां श्रीमान साहु श्रेयास प्रसाद जी जैन (ईस जीवामाद अह ३० एक 'मंडल कितनो उपयोगी संस्था है और यह जैन समाज की. : कितनी सेवा कर रही है, यह सबको विदित ही है इस कारण ' ज्यादा लिखना वृथा है।" 1 श्रीमान् ब्रह्मचारी पारसदास बामोड़ा, २६ मार्च ३१ + आप के भेजे हुये दोनों ट्रैक्ट आज आये ट्रेक्ट बहुत उपयोगी है, इनके पढ़ने से विदित हुआ कि जैन मित्रमंडल' निजी समय में उन्नति की है वह सराहनीय है वास्तविक ' निःस्वार्थ सेवाही से ऐसी उन्नति हो सकती है इस मित्रमंडल के कार्य कते यों को में हार्दिक धन्यवाद देना हुआ श्री १००८ श्री वीर भगवान ले यही प्रार्थना करता हूं कि आपकी सेवा सफल हो कर विश्व में फिर पूर्ववत् अहिसामय जैनधर्म 5 फहरावे ! I श्रीमान् ब्रह्मचारी दीपचंदजी वणी 35 कार्यश ू "का 37 मैं हर प्रकार से उत्सव को सफलना चाहता हूँ और इस जो सच्ची भावना होती है उसकी की अनुमोदन पॉलाल जी मिश्र प्रभाकर देवबन्द दिवांच आपका मण्डल अपनी शक्ति पर इस आवश्यकता की की इस कार्य में सफलता है प्रसिद्ध है भगवान कामना है,
SR No.010326
Book TitleJain Veero ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherJain Mitra Mandal
Publication Year1931
Total Pages92
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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