SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 13
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ शुद्धाशुद्धि पत्र । पृष्ट पति अशुद्ध शुद्ध Congueio Conqueio ३ २० के लोलुपी के लिये लोलुपी कल्यकाल कल्पकाल इसी के इसो की ५११ निवृत्ति निवृत्ति कि वीरोंके चरत्र कि इन वीरोंके चरित्र चकाचौंध चकाचौंध श्रावधि हा श्रौषधि हो launa Laina श्रव उन बतलाने बतलाये उन्न १३ १५ यये गये विचार विहार सालहवें सोलहवें सेनपति सेनापति १४ ५ लगध मगध २२ २९ विचार विचर १३ लिया' शब्द के आगे निन्नशब्दयढानेचाहिये"आखिर एक मुनिराज के संसर्ग में श्राकर वह जैनी हो गया और तर उदयन ने उसे मुक्त कर दिया। वह जाकर ६ अजातशत्रु अजातशत्रु राजा २६ २२ अमरत्य अमात्य २७ २१ इन राज्य इनके राज्य २९६ ता तो
SR No.010326
Book TitleJain Veero ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherJain Mitra Mandal
Publication Year1931
Total Pages92
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy