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________________ जैन नीर्थयात्रादर्शक। तथा १ श्वेताम्बर मंदिर हैं । नागरदा, नरसिंघपुरा, हूमर, अग्रवाल, ओसवाल, माहेश्वरी मादि सात जातिके महाजन लोग वसते हैं। यहांकी भावादी ४०० घरकी है। उनमें २०० घर दि. जनियोंके हैं। शहरमें कुल वस्ती १०००० घरकी है । यहांके दि० जैन मंदिर में प्रतिमा बहुत प्राचीन कालकी अतिशयवान हैं। निसकी मान्यता आसपासके १०० कोश के ग्रामों में सब जगह होरही है। प्रतिमा बहुत मनोज्ञ होनेसे दर्शनीय है। भीडरमें घृतादिका व्यापार बहुत होता है। सब जाति के लोग प्रायः शुद्ध सामान वेचने हैं । भीटर जाने का दृपरा राम्ता भी उदयपुर चित्तौरगढ़ लाईनमें करेडी स्टेशन होकर दक्षिणकी तरफ १ मील भीडर पड़ता है। पर समुद्रको पार वटा है । समुः देखने का भी सुमीता है । फिर वहामे वैष्णव भाइयोका बटा भारी धाम ( तीर्थक्षत्र ) चार भुजा ( गाउनाथ ) तथा ८ पजीका धाम है । यह प्राचीनकालकी १ मति चार भुजा नाम रमण की है । स्पजीम गमचन्द्र सीताकी मूर्ति है । यहा य त्रा करके फिर नाथद्वारामे हिन्दओकी कृष्ण महाराज की मूर्ति है। यहा पर गुमाद जीका । -य है । लील कुंट, गऊशाला, मदिर, गुमाइजीका महल, पोज परन दखने योग्य चीजे है ।। १ करेडा-टेशनके सामने प्राचीनकालका बड़ा कीमती और नामी दि. जन वरडा पार्श्वनाथका मदिर है । इसकी यात्रा करनी चाहिये । मेष ट देशम ४ ची में देखने काबिल है । करेडाको देवरे। अर अहोणका महेल । बीनाताको वावडो, देरणेको सहेल ॥१॥ भावार्थ-परेडाका मदिर, अटाणा गायके राजाका महल, विनोताको बास्टी, देणेकी हेउ देखने योग्य है । करोडाका मदिर हजारो वर्ष तक दिगम्बरी रहा, पान्तु अब वना
SR No.010324
Book TitleJain Tirth Yatra Darshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGebilal Bramhachari, Guljarilal Bramhachari
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages273
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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