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________________ तीर्थयात्रादर्शक जैन। [२०१ दराबादसे १ रेलवे वाडी होकर रायचूर जाती है । १ लाईन बेनवाड़ा जाकर मिलती है। फिर आगे मद्राप्त तक आती है । अब यहांसे टिकट ८) देकर हैद्राबाद उतर जाना चाहिये । (३४५) हैद्राबाद स्टेट । यह बादशाही शहर भी अवश्य देनने योग्य है । यहांका बाजार, बड़े२ मकानात, राना सा० का दरबार, पलटन, तोपखाना, अजायबघर, बाग आदि देखने योग्य हैं । म्टेशनसे १ मील शहर पड़ता है । -) सवारीमें तांगावाला लेनाता है। मीनार नामक स्थानके पाम दि. धर्मशाला है। वहांपर ठहर जाना चाहिये । शहरमें मीनाके काममे मुशोभित रमण क बड़े २ पांच मंदिर और दि.० भाईयों के बहुत घर हैं। सब मंदिरों में प्राचीन प्रतिमा विराजमान हैं । दर्शन करके बहुन आनन्द प्राप्त होता है। यहांसे लौटकर वापिम मिकन्दाबाद होता हुआ घर जाना हो तो चला जाय । नहीं तो फिर लौटकर मनमाड़ मानाय । टिकट अंदाजा ७) लगता है। (३४६ ) मनमाड जंकशन । यहांसे रेलवे बंबई नरफ नानी है। एक भुपावल, खंडवा आदि जाती है। मोटर मांगीतुंगी तरफ जाती है । हाल उ.पर देखो । अब यहांसे टिकट ।) देकर नांदगांवका लेलेना चाहिये । (३४७) नांदगांव । स्टेशनमे पाव मील ग्राम है। २५ घा जैनियोंके हैं। १ बहुत भारी मंदिर, बहुत ऊँची कुडची देखने योग्य है । मंदिरके बाहर २ हाथी पत्थरके हैं। मंदिर रंगदार बदिया है । भीतर चार
SR No.010324
Book TitleJain Tirth Yatra Darshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGebilal Bramhachari, Guljarilal Bramhachari
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages273
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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