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________________ तीर्थयात्रादर्शक जैन। [१८५ है । यहांपर २ दि. जैन मन्दिर और प्राचीन उस्मानावाद अमी प्रतिमा है । बहुत घर दि० ननियों के हैं । यहांका दर्शन करनेसे मानन्द होता है, प्राचीन चीजें देखने योग्य हैं। लौटकर टिकटका १) देकर कुरूडवाड़ी आनाय, फिर टिकट । देकर धोंड़ जावे । (३११) धौड़ स्टेशन । यहांमे १ रेलवे मनमाड़ जाती है, एक पूना तक जाती है, १ बागमती जाती है। II) टिकटका देकर बारामतो चला जावे । (१२) बागमती शहर । म्टेशनमे १ मील दूर नन धर्मशाला, मन्दिर, कुआ वानारके बोनमें हैं । नांगावाला -) पवारी लेना है, यहांके मन्दिर बढ़िया हैं। वहुन घा दिनानियों के हैं, व ४ घग्में चैत्यालय हैं। यहांपर गुड़ बहुत बनिया दोना व विकना है। यहांसे ४) में बलगाडी भाटा करक " नानेपोने "-दहीगांव जाना चाहिये। करीब २० मील पढ़ता है । ब'चमें गोकी, नोकरी और १ ग्राम पड़ता है। जिनमें , , चायालय व दि. नन इमड़ भाइयोंके कुछ घर हैं । इस देश में गुनगातक रहनेवाले भाई आकर वसे हैं। इनको " गुजर " बोलने है । सब जगहपर गनरके घर व मंदिर पूछनेपर शोध पता लग जाता है। (५३) दहीगांव अनिशय क्षेत्र (नातेपोने )। यह ग्राम ठीक है। १५ घर गजर लोगोंके हैं, एक बड़ी भाग धर्मशाला, कोट और कुल १० मंदिर हैं । एक स्थानपर बीचमें चतुर्मुख मंदिर है । उममें १२ प्रतिमा चारों दिशा में हैं, चार२ कोनों में इस तरहसे अनेक प्रतिमा हैं। एक और बड़ा
SR No.010324
Book TitleJain Tirth Yatra Darshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGebilal Bramhachari, Guljarilal Bramhachari
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages273
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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