SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 236
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १८१] जैन तीर्थयात्रादर्शक । है। यह स्थान भी थोडेसे खर्चमें देख लेना चाहिये । लौटकर कुर्दुवाडी आवे । ॥) देकर टिकट बारसी टाउनका लेवे । (३०४) बारसी टाऊन । म्टेशनसे थोड़ी दूर २ हिन्दु धर्मशाला हैं, उनमें आरामसे ठहर जाना चाहिये । शहरमें १ दि. जैन धर्मशाला व मंदिर है। नैनियोंके घर भी बहुत हैं। शहर अच्छा, सामान सब मिलता है। यहांसे जाने-मानेकी ५) में बैलगाडी करके श्री कुंथलगिरि जाना चाहिये । रास्ता कच्चा, २२ मील पडता है । बीचमें पीपलगांव पड़ता है। वहांपर ठहरनेका सुभीता है । आगे भूमगांव पड़ता है। (३०५) भुमगांव । यहांपर दि. जैन धर्मशाला, २ मंदिर, २० घर दि० नैनिः योंके हैं । बीचमें नदी है । माघे ग्राममें १ मंदिर व धर्मशाला है । उधर भी मंदिर है । यहांसे ८ मील कुंथलगिरि है। (३०६) श्री सिद्धक्षेत्र कुंथलगिरि । यहांपर १ धर्मशाला और कुल १० मंदिर, तथा अच्छीर प्रतिमाएं हैं। एक मंदिरमें भौंहरा है। पहाइपर जानेको सीढ़िया लगी हैं । बीचमें सब मंदिर पडते हैं । पहाडका चढ़ाव सरल है। ऊपर बहुत बड़ा मूलनायकका मंदिर है। __ उसमें श्री मादिनाथकी प्राचीन प्रतिमा विराजमान है । देशभूषण, कुलभूषण मुनि यहांसे मोक्षको पधारे हैं, उन्होंकी चरणपादुका हैं। पेटीमें दो स्फटिकमणिकी प्रतिमा है, सबका पूजन करके भंडार ममा करना चाहिये। यहांपर एक ब्रह्मचर्याश्रम भी है, उसको
SR No.010324
Book TitleJain Tirth Yatra Darshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGebilal Bramhachari, Guljarilal Bramhachari
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages273
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy