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________________ १५६) जैन तीर्थयात्रादर्शक । मती लोग जो रामेश्वर जाने माने हैं वे लोग यहां भी आने हैं। यहांसे १॥) देकर एरोड़ा नं० का टिकिट लेवे।। नोट-अगर किसीको रंगावंगास्वामी नहीं जाना हो तो त्रिचिनापल्लीमे मीघा टिकिट एरोडाका लेलेना चाहिये । त्रिचिनापल्लीसे ? रेल मद्रास जाकर मिलती है। एरोड़ा गाडी बदलकर टिकटका ५॥) देकर मंगलोर जावे । यह हाल आगे देखना च हिये। (२५३) एरोडा जंक० । रामेश्वर जाकर त्रिचिनापल्ली गाड़ी बदलकर यहां आकर मिल नावे । अगर कोई भाई मूलबद्रीसे लौटकर इमी राम्ने आवे, तो रामेश्वर जानेवालोंको एरोडा गाड़ी बदलकर, ५॥) देकर रामेश्वरका टिकट लेवे । फिर बोचमें रंगावंगा स्वामी देखकर, त्रिचनापल्ली गाड़ी बदलकर मदुरा उतर पडे । मदुरा देखकर और गाड़ीमें सवारी होकर रामेश्वर जावे। फिर लौटते समय मदुरा गाड़ी बदले । फिर विल्लुपुरम गाड़ी बदलें । काटपाडी गाड़ी बदलकर माघीमंगलम् ( तीरुवल्लम् ) स्टेशन आनावे | तीरुमल्लाकी यात्रा करके पीछे स्टेशन आवे । काटपाडी गाडी बदलकर मारकोनम स्टेशन जावे । टिकटका ।) देकर कांचीवरमकी यात्रा करें । वापिस मारकोनम आवे । भारकोनमसे किसी भाईको मद्रास देखनेकी इच्छा हो तो II) देकर मद्रास चला जा । मद्राससे चारों तरफ जासकते हैं। जहां मन हो वहां चला जावे । मद्राससे १ लाईन रायचूर जाती है । इपर भी माना चाहिये। टिकट ५।) लगता है। अगर किसीको मद्रास नहीं देखना हो तो आरकोनमसे सीषा रायचूर जाना चाहिये । टिकट ५॥) लगता है। रायचूर या
SR No.010324
Book TitleJain Tirth Yatra Darshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGebilal Bramhachari, Guljarilal Bramhachari
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages273
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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