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________________ १४४ ] जैन तीर्थयात्रादर्शक | ज्यादः कोई ठहर नहीं सकता है । नेपालके पासके पहाड़पर चढ़कर देखने से कुछ कैलाश पहाड़ दीखता है । ऐसा कोई २ लोग बोलते हैं । उसको हिमाचल पहाड़ भी कहते हैं । यहांसे I आगे तिव्वत मुल्क आता है । तिव्वतके आगे मनीपुर आदि आसाम देश आता है । उसका लेख ऊपर कर दिया है । ( २४१ ) तिब्बत मुल्क | - यह बहुत ऊंचा पहाड़ी देश है । यहां पर बड़े पहाड़ है । उच्छ लोगोंका निवास ज्याद: है । ये लोग काले निम्लुर क्रूर परिणामी होते हैं । इनको किसीका डर नहीं। मौका पाकर मनुष्य पर भी बाबा मार देते हैं । यहांके पहाड़परमे कैलाश दिखता है । यहां पर दार्जिलिंग रेलवेका आगे स्टेशन है। एक नदी केलाश पर्वतके दक्षिण तरफ बहती है । सो नगर चक्रवर्तीके ६० हजार पुत्रोंने कैलाशके चारों तरफ खाई खोदकर पर्वतराजकी रक्षा के लिये नदी बहाई थी । इस नदीका नाम भी ब्रह्मपुत्र नदी कहते हैं । इसके बीच में बड़ी२ भँवर पड़ती हैं। इसी कारण से कोई आदमी उस पार अनेक यत्न करनेपर भी नहीं जासकता है । अंग्रेजने हवाई जहाज द्वारा कैलाशपर जानेका प्रयत्न किया पर सब निष्फल हुआ । ऐसी ही देवी माया है । ( २४२ ) सिद्धक्षेत्र कैलाश पर्वत । 1 यह पर्वत बहुत ऊंचा है । आठ साड़िया होनेसे अष्टापद कहते हैं । श्री आदिनाथ, नागकुमार, व्याल महाव्यालादि सिद्धपदको प्राप्त भये हैं । पूर्वकालमें भूमिगोचरी रावण, भरत, बालमुनि मादिको यात्रा सहजही में होती थी। हमारे अभाग्य से हमारा वहांपर
SR No.010324
Book TitleJain Tirth Yatra Darshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGebilal Bramhachari, Guljarilal Bramhachari
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages273
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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