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________________ १४२] जैन तीर्थयात्रादर्शक । गया हूं इसलिये पुरार हाल नहीं बता सकता हूं। रेलवे उतरने चढ़नेवालोंसे पूछा था। वे कहते थे कि जनकपुरीकी यात्राको जाते हैं । सो धर्मात्मा भाइयों को इस पवित्र स्थानकी यात्रा अवश्य करना चाहिये । स्टेशन सीतामंडी उतरकर जनकपुरी तांगामें जाना चाहिये। (२१७) जनकपुरी। यह राजा जनक-कनक, सीता-भामंडल, श्री मल्लीनाथ तीर्थकरकी जन्म नगरी आदि अतिशयोंसे शोभायमान पवित्र नगरी है । अन्य मती तो यहांपर हनारो आते हैं, पर जैनियोंने यह तीर्थ छोड़ दिया है । इसी लाइनमें मुनफफर गाड़ी बदलकर बागहा ब्रांच लाईनमें गोली उतरे। वहांसे गाड़ी बदलकर (सेगोली) रकशोल लाईनमें रक्सौल उतर पड़े । टिकट पटना सोनपुरसे रकशौल तकके २) रुपया लगता है । परन्तु यहांपर काम हजारों रुपयोंका होता है। (२३८) रकशील। स्टेशनसे ग्राम नजदीक है । यहांसे वीरगंज २ मील दूर है। (२३९) वीरगंज (नेपाल)। यह शहर अच्छा है। मारवाड़ी वैष्णव भाईयोंकी दुकाने हैं। यहां शिवरात्रीका फाल्गुण वदी १० से १३ तक बड़ा भारी मेला भरता है। उन दिनों में राजा सा०के हुक्मसे नेपालका रास्ता खुला रहता है । यहांपर तार, डाइधर, सड़क, कानून सब नेपाल राज्यकी तरफके हैं। किसी दुसरेकी आज्ञा नहीं चलती है । राना बड़ा जबरदस्त है । वीरगंनमें कचहरीसे आज्ञा पानेपर नेपाल जासकते
SR No.010324
Book TitleJain Tirth Yatra Darshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGebilal Bramhachari, Guljarilal Bramhachari
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages273
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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