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________________ १४] जैन तीर्थयात्रादर्शक । ____w ww ~~ wwwmmmmm पहाड़ है | गयामे जीदापुर ढौवीग्राम तक पक्की सड़क है । ढौबी ग्राम तकसे बांई तरफ राम्ता मुड़कर ९ मीलपर हटरगंज थाना है। यहांतक मोटर तांगा आते-जाने हैं। आगे वीचमें फल्गु-नीलांजना दो नदी उतरना पड़ती है । तांगावाला यहींपर ठहर जाता है । यहांसे ६ मील दूरीपर हतवरिया ग्राम पड़ता है । वहांतक मोटर, तांगा ज्यादः किराया देनेसे चले जाते हैं । राम्ता अच्छा है । नदी भी गहरी नहीं है । कभी नदी नहीं उतरनेपर नदीके उसी तरफ हटीरगंज तक तांगा अच्छी तरह आता है । हटरगंजमें बहुत तांगे हर समय मिलते हैं। नदीसे सिर्फ २ मील दूर हतवरिया ग्राम है। यहां बाबू बद्रीनाथ जौहरी कलकत्तावालोंकी कच्ची धर्मशाला है । एक मादमी रहता है । यहांसे आप मील पहाडकी तलेटी है । नीचे कुआ और बगीचा अच्छा है । एक मकान भी है । यह पहाड़ पहले जैनके नामसे प्रसिद्ध था। पहाड़पर एक जिन शासनदेवी थी, उसमें विराजमान करके उमको कुलेश्वरीके नामसे प्रसिद्ध कग्दी । पहाट का नाम भी कुलुहा कहने लगे । और हजारों पापी जीव वरदानकी इच्छासे बोल-कबोल कर भंसा, मुर्गे, बकरे जिन देवी और जिन प्रतिमाके आगे मारकर चढ़ाने लगे । उस हत्याका पार नहीं है । उसको कुलदेवीका मंदिर बोलते हैं। वहांपर जाने हुए दि. जैन मंदिर शुरू में पडता है । इस मंदिरमें पहिले बहुत प्रतिमा और एक सहस्रकूट चैत्यालय था । और बाहरकी दालांनमें शासनदेवी विराजमान थी। बड़े दुःखको बात है कि नैनियोंकी गलीसे उन दुष्टोंने प्रतिमा और सहस्रकूट चैत्यालयको बाहर निकालकर एक झाड़के
SR No.010324
Book TitleJain Tirth Yatra Darshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGebilal Bramhachari, Guljarilal Bramhachari
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages273
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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