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________________ ~ ~~ ~ ~ N ११.] जैन तीर्थयात्रादर्शक । (१९२) नौराई (रत्नपुरी) यहांपर एक श्वेताम्बरी दिगम्बरी सामिक धर्मशाला है। धर्मशालामें २ मंदिर श्वेताम्बरी हैं। फिर यहां ठहरकर एक आदमीको साथ लेकर ग्राममें चला जावे । ग्राममें ३ मंदिर दिगम्बरियों का है सो दर्शन करके लौट आवे । धर्मनाथ तीर्थकरका इसी नगरीमें गर्भ जन्म हुआ था। देखो काल की कुटिलता कि मान श्वेताम्बा भाई हैं। दिगम्बरियों का तीर्थ निसपर कुछ भी इंतनाम नहीं है । इम क्षेत्रका दर्शन ही करोड़ों भवका पाप दूर करता है। लौटकर म्टेशन आनावे । किसीको घर जाना हो तो चला जाय। सोहावलसे ।) का टिकट खरीद कर अयोध्या घाट आवे । अयोध्या घाट उतर कर -) नावका देकर सरज़ किनारे उतर नावे । फिर १ मीलपर लकड़मंडी स्टेशन चला जावे । टिकटका /-) देकर गौड़ा जंकशन उतर पड़े। (१९३ ) गौडा जंकशन । यह शहर बड़ा भारी देखने योग्य है । प्राचीन मंदिर और दिन घर बहुत हैं । यहांपर शक्करगुट्टका कारखाना बहुत है। साटा-उग्वका रस पीने सम्ता मिलता है, यहांपर हजारों मन गुड़, सकर बनकर दिशावरों को जाता है। फिर लौटकर स्टेशन मानावे टिकिट किराया ॥) देकर बलरामपुरका ले लेना चाहिये । गौड़ासे ये ही लाइन बलरामपुर होकर गोरखपुर जाती है, एक गौड़ासे नेपालपुर जाती है । १ लखनऊ तक जाती है। (१९४) बलरामपुर । .. यह ग्राम राना सा० का ठीक है । नैन लोग कुछ नहीं हैं।
SR No.010324
Book TitleJain Tirth Yatra Darshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGebilal Bramhachari, Guljarilal Bramhachari
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages273
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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