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________________ जैन तीर्थयात्रादर्शक | (१८० ) इलाहाबाद शहर । स्टेशन से १ मीलकी दूरीपर चौकबाजार में दि० जैन धर्म - शाला है। तांगावाला ) सवारी लेता है, वहीं पर ठहर जाना चाहिये । पास में ४ बड़े बड़े मंदिर ३ चैत्यालय हैं । एक मंदिर में ४ वेदी हैं । प्राचीन श्यामवर्ण प्रतिमा विराजमान हैं। दो मंदिर में गंधकुटीकी रचना बहुत कीमती और रमणीक है । चैत्यालय में खड्गासन चन्द्रप्रभु भगवानकी प्रतिमा विराजमान है। शहर बहुत बड़ा है। बाजार देखने योग्य हैं। यहांसे तांगा में प्रयाग की यात्रा बड़ा करके इलाहाबाद लौट आवे । आगे मोगलसराय जावे । जिसको जिधर जाना हो चला जावे । अत्र लखनऊ की ओर की यात्रा लिखते हैं | कानपुर से II) टिकटका देकर छोटी लाईन से लखनऊ आवे | कानपुर में शहर में हरवक्त ट्रामगाड़ी स्टेशनको घृमा करती हैं । इसकी सवारीमें आराम बहुत और दाम कम लगता है । ( १८१ ) लखनऊ | शहर बहुत लम्बा चौड़ा प्राचीन है । दि० जैन घर बहुत हैं | यहां पर कुल ९ स्टेशन हैं। उनमें एक स्टेशन जंक्शन बहुत बड़ा और रमणीक है | एक बड़ा स्टेशन और है । और पांच स्टेशन छोटे हैं । मबसे बड़ा भारी स्टेशन नौबागका है । यहांसे 1 १०४ ] २ मील दूर चौक बाजार चूड़ीगली में धर्मशाला, और एक पंचायती मंदिर बहुत कीमती है । उसमें छह वेदी और हजारों प्रतिमा हैं । एक मंदिर यहांसे नजदीक गली में है । फिर थोड़ी दूर फरंगी महल के पास नई सड़क के किनारे एक चैत्यालय है और चौक बाजार, सड़क यहां से पाव में ल ईमामबाड़ा, हुसेनवाड़ा देखने योग्य
SR No.010324
Book TitleJain Tirth Yatra Darshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGebilal Bramhachari, Guljarilal Bramhachari
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages273
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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