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________________ जैन तीर्थयात्रादर्शक। [९७ mmmmmmm (१६४ ) फरुखाबाद जंकशन । म्टेशनके पास २ धर्मशाला वैगयों की हैं, शहर १ मील दूर है, ३ सवारीने तांगा जाता है । ३ नन्दिर हैं, १ सदरबानार, २ हकीम पुतुलाल नीके पाम, -) जैन मुहल्ला में बनारमीका मन्दिर है। यहांपर दि.. नियों के घर बहुत है, टिकेट ।) देकर काय. मगंन उतरे। (१६५ ) कायमगंज । म्टेशनमे १ मील ग्राम है, १ मन्दिा कुछ घर दि. जैनि योंके हैं । यहांमे ॥) सबागमें ६ मील कापलानी तांगा, मोटर मानी है। यहांमे १ रेल अचनेरा मयुग होकर कानपुर चली नाती है, छोटी लाइन भी है। ( १६६ ) कम्पिलानी क्षेत्र । १३ वें तीर्थकर विमलनाथ भगवान के गादिक ४ कल्याणक यहांपर हुए थे । यह भी बड़ा भारी नगर था, परन्तु मान छोटासा ग्राम है । १ मन्दिर और ३ प्रतिमा विमलनाथस्वामीकी प्राचीन विराजमान हैं। यहांपर एक धर्मशाला श्वेतांबर, दुपरी वैष्णवोंकी है और दोनों ही मन्दिर हैं। यहांसे लौटकर कायमगन भावे । फिर यहांसे किसीको नाना हो तो हाथरम मथुग होकर कानपुर जावे । टिकिट अन्दाना २) होगा, नहीं तो टिकट सीधा देहलीका लेना चाहिये । ३) टिकटका लगता है, बीचमें हाथरस मंकशन गाड़ी बदल कर देहली नावे, पर रास्तेमें हायरस, अली. गढ़, खुर्ना शहर पड़ते हैं। उन सबमें दि. जैन बड़े २ मन्दिर और जैनियोंकी वस्ती बहुत है, किसीको उतरना हो तो उतरे।
SR No.010324
Book TitleJain Tirth Yatra Darshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGebilal Bramhachari, Guljarilal Bramhachari
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages273
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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