SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 137
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैन तीर्थयात्रादर्शक | [ ८३ फिर लौटकर स्टेशन आवे । ) देकर ललितपुरकी टिकट कटाकर वहां पर उतरे | स्टेशन घवला जाकर चांदपुरकी यात्रा करके फिर टिकट (-) देकर ललितपुर आवे । ( १३८ ) ललितपुर शहर । 1 1 स्टेशन से आधमील क्षेत्रपालपर तांगावाला ) सवारी में लेनाता है । यहांपर बहुत बड़ी दि० जैन धर्मशाला है । पानीका कुआ, जंगल, पाठशाला पास ही है । यहांका स्थान बड़ा ही हवादार और रमणीक है । यहां एक बड़ा भारी ऊंच गढ़ है । जिसमें मंदिर हैं । प्राचीन प्रतिमा बहुत अतिशवान हैं। शास्त्र भंडार है। यहां एक मंदिर में अभिनन्दन स्वामात्री प्रतिमा श्याम वर्ण सुन्दराकार है । उसके नीचे क्षेत्रपालकी मूर्ति नमानपर 1 इमलिये इसका नाम क्षेत्र प्रसिद्ध पड़ गया है। यहां सेट मधरादास पन्नालालजी या धर्मात्मा परोप यहांसे १ मी शहर पड़ता है। मो ललितपुर शहर अच्छा है । दि० जैन भाईयों के घर रंगदार तीन दि० मंदिर बहुत खूबसूरत हुए हैं। एक चैत्यालय भी है। वेदी यहांका दर्शन अवश्य करना चाहिये | मोटर आदि सवारी करके ३६ मील बीच में महरौनी गांव भी पड़ता है २ घर अंदाना ८० होंगे। फिर टीकमग नाये | शहर ४. थापर बड़ेर • मोडत बने ना 14 || 4444444 • (१३९) टी. यह एक अच्छा करना है। राज.... 1 7 1 " बहुत है । नवारी में नाहिये । नायके रा अच्छा है।
SR No.010324
Book TitleJain Tirth Yatra Darshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGebilal Bramhachari, Guljarilal Bramhachari
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages273
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy